अब लाइलाज नहीं रहा स्पाइनल स्ट्रोक
स्पाइनल स्ट्रोक, ब्रेन स्ट्रोक से अलग होते हे। ब्रेन स्ट्रोक मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं और मष्तिस्क की ओर रक्त की आपूर्ति कट ऑफ हो जाती हैं। जब स्ट्रोक स्पाइनल कॉर्ड को प्रभावित करता हे तो उसे स्पाइनल स्ट्रोक कहते हैं। स्पाइनल कॉर्ड सेंट्रल नर्वस सिस्टम का भाग हे, जिसमें ब्रेन भी सम्मिलित हैं। स्पाइनल स्ट्रोक के कारण नर्व इम्पल्स (सन्देश भेजने ) में परेशानी होती हे। ये नर्व इम्पल्स शरीर की गतिविधियों जैसे कि हाथों और पैरों हिलाना और अंगों के ठीक प्रकार से कार्य करने को नियंत्रित करने में सहायक होता हैं कुछ स्पाइनल स्ट्रोक्स ब्लीडिंग के कारण होते हे, जिसे हेमरेज स्पाइनल स्ट्रोक कहते हैं।
स्पाइनल स्ट्रोक्स के लक्षण इस पर निर्भर करते हैं की स्पाइनल कॉर्ड कौन सा भाग प्रभावित हुआ हैं और स्पाइनल कॉर्ड को कितनी क्षति पहुंची हैं। अधिकतर मामलों में लक्षण अचानक दिखाई देते हैं लेकिन कई मामलों में ये लाक्षण स्ट्रोक आने के कई घंटों बाद भी दिखाई दे सकते हैं। अचानक और गंभीर गर्दन या कमर दर्द होने लगे, पैरों की मांसपेशियों कमज़ोर होने लगे बॉउल और ब्लैडर को नियंत्रित करने में परेशानी होना, मांसपेशियों में ऐंठन, हाथों और पैरों में झुनझुनी महसूस होना। गर्म या ठंडा न महसूस कर पाना यह सब लक्षण हैं। यह कई कारणों से हो सकता हैं जैसे उच्च रक्तचाप,कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर,ह्रदय रोग,डायबिटिज़, नियमित रूप से एक्ससरसिस नहीं करने से शराब का सेवन,उनको इसका खतरा अधिक रहता हैं। स्पाइनल स्ट्रोक एक गंभीर स्थिति हैं और इसके लिए तुरन्त मेडिकल ट्रीटमेन्ट की ज़रूरत हैं। दवाइयों जैसे कॉर्टिकोस्टेरॉइड सूचन को काम हैं। अगर चोट कारण स्पाइनल कॉर्ड दवाब बंद रहा हैं तो इस दवाब को सर्जरी के द्वारा दूर किया जाता हैं। अजर उचित समय पर सर्जरी कर ली जाऐ तो स्पाइनल कॉर्ड को क्षतिग्रस्त होने से बचा सकता हैं। मिनिमली इनवेसिव सर्जरी (एमइएस ) तकनीक ने सर्जरी को बहुत आसान बना दिया हैं। इसमें छोटे -छोटे कट लजाऐ जाते हैं और सामान्यता आधे घंटे से भी कम समय लगता हैं।